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धूर्त  : वि० [सं०√धूर्व् (हिंसा)+तन्] [भाव० धूर्तता] १. जो कपट या छलपूर्ण आचरण करके अथवा चालाकी या दाँव-पेंच के द्वारा अपना काम इस प्रकार निकाल लेता हो कि लोगों को सहसा उसके वास्तविक स्वरूप का पता तक न चलने पाता हो। बहुत बड़ा चालाक। २. कपटी। छली। धोखेबाज। ३. दुष्ट। पाजी। पुं० १. साहित्य में, शठ नायक का एक भेद। २. जुआरी जो तरह-तरह के दाँव-पेंच करता है। ३. चोर नामक गंध-द्रव्य। ४. लोहे की मैल या मोरचा। ५. धतूरा। ६. विट् लवण।
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धूर्तक  : पुं० [सं० धूर्त+कन] १. जुआरी। २. गीदड़। ३. कौरव्य कुल का एक नाग।
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धूर्त-चरित  : पुं० [ष० त०] १. धूर्तों का चरित्र। २. [ब० स०] संकीर्ण नाटक का एक भेद।
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धूर्तता  : स्त्री० [सं० धूर्त+तल्—टाप्]धूर्त होने की अवस्था, गुण या भाव। दुष्ट उद्देश्य से की जाने वाली चालाकी।
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धूर्त-मानुषा  : स्त्री० [धूर्त=हिंसित-मानुष ब० स०, टाप्] रास्ना लता।
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धूर्त-रचना  : स्त्री० [ष० त०] छल-कपट।
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